Friday, September 19, 2008

Yesternight's GTalk Status

काली रात की कशिश
कवि की कल्पना
कहीं स्ट्रीटलाईट की चकाचौंध
कहीं कलियों का सपना
क्यूं बंद नहीं होता
पलकों का झपकना
कम्बख्त नींद नहीं आती
क्या कोई जाग रहा अपना

- कबूतर-कबूतरी-कवितायें@टाईमपास.कॉम

2 comments:

Unknown said...

hahaha....mast hai

Unknown said...

itne dino ke baad ....???
kis cheez mein busy the?