बस बरस जा अब
घुटन को घटा घटा से
छिपा-छिपी बंद कर छपाक से
जल से ज्वाला की जला दे
पतझड़ के पुराने पेडों-झाडों पे
टूटे तिनकों, तितलियों, ततैयों को,
खुले नीले आकाश की नज़रों से
कर ओझल फुसलाकर नहलाकर
धर दे धरा पर धीमे से बचाकर
गिरें तो गिरें माटी पे
कम से कम चखें
इस दवा का स्वाद
बस बरस जा अब
घुटन को घटा घटा से
छिपा-छिपी बंद कर छपाक से
जल से ज्वाला की जला दे
पतझड़ के पुराने पेडों-झाडों पे
टूटे तिनकों, तितलियों, ततैयों को,
खुले नीले आकाश की नज़रों से
कर ओझल फुसलाकर नहलाकर
धर दे धरा पर धीमे से बचाकर
गिरें तो गिरें माटी पे
कम से कम चखें
इस दवा का स्वाद
बस बरस जा अब
3 comments:
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