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Saturday, October 21, 2006

शुभ दीपावली


आज मन ने इक बात कही
कि द्रुत गति से भाग रही
जीवन की रेलगाडी की
फिर चेन खींची जाये,
खुशी नगर के बीच चौराहे
आओ दिव्य दिवाली मनायें|


उत्तर दक्खिन पूरब पश्चिम
माँ लक्ष्मी की आरती गायें,
शुभ गणपति के राग पे
श्रद्धा की बंसी बजायें,
श्री राम के लौटने की ख़ुशी में
आओ दिव्य दिवाली मनायें|


अमावस की कालिमा पर
डाल दें प्रकाश की चादर,
जला दें दीप इतने ढेर सारे
दूर आसमां में कहीं जल उठें तारे,
देख धरती की सुंदरता, छिपा चांद शरमाये
आओ दिव्य दिवाली मनाएं|