तेरे नयन
की लहरों में
डूबा जा रहा
ज़रा पलकों का
दे सहारा
कहीं इतने गहरे
न उतर जाऊं
कि झपकें जब पलकें
कैद हो जाऊं
समा जाऊं तुझमें
फिर न कहना
आगाह न किया
तेरी नजरों के साये में
शीशे से झांकता
मैं बांवरा कजरा
की लहरों में
डूबा जा रहा
ज़रा पलकों का
दे सहारा
कहीं इतने गहरे
न उतर जाऊं
कि झपकें जब पलकें
कैद हो जाऊं
समा जाऊं तुझमें
फिर न कहना
आगाह न किया
तेरी नजरों के साये में
शीशे से झांकता
मैं बांवरा कजरा
No comments:
Post a Comment