Tuesday, January 27, 2009

कजरा रे

तेरे नयन
की लहरों में
डूबा जा रहा
ज़रा पलकों का
दे सहारा
कहीं इतने गहरे
उतर जाऊं
कि झपकें जब पलकें
कैद हो जाऊं
समा जाऊं तुझमें
फिर कहना
आगाह किया
तेरी नजरों के साये में
शीशे से झांकता
मैं बांवरा कजरा

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